Thursday 1 September 2016

प्रेम- मिलन

मुझे उस लम्हे का इंतेज़ार है,
जब तू मेरे पास होगी
मेरा सर तेरी बाँहों मे होगा ,और
तेरी जुल्फे मेरे गालो को सहलायेंगी ..

तेरे नरम-नरम हाथ ,
जब मेरे हाथों मैं होंगे ,
उस वक़्त समां रंगीन और ,
साँसे मदहोश होगी ..

और जब मैं तुझे अपनी
और खिचूँगा तो तू ,
पहले मुस्कुराएगी फिर मेरी
जान लेकर शरमाएगी ….

उस समय तो चाँद भी
तुझे देख जल जायेगा ,
जब प्यार की मदहोशी पुरे
माहौल मैं छा जायेगी

उस वक़्त रात भी घनेरी होगी
ठंडी हवाएँ तेज़ी से चलेंगी ,
तब मेरे कंपकपाते को
तू ही सहारा देगी …

जब तेरी जुल्फों को
तेरे कन्धों से हटाऊंगा ,
तो मेरे हाथ के छुवन से
तू मचल जायेगी ……

तेरे महरूम रंग के सूट
को जब हलके से छूऊंगा तो ,
शरम के मारे तू
मुझ से लिपट जाएगी ..

तेरे शरीर की गरमाहट
मुझे खामोश कर देगी ,
और तेरी बाहों की कसमसाहट
मुझे तेरे आगोश मे भर देगी …….

तू भी पहले मेरे
कमर को सहलाएगी और ,
फिर अपने होठो को मेरे
पास लाकर कान काट जायेगी ….

फिर मैं तेरे होठो को अपने
होठो से यूँ मिलाऊंगा की,
तेरे लबों के पानी को
अपने होठों से पी जाऊंगा ….

तारों की चमक से तेरा
चेहरा यूँ रोशन होगा ,
की तेरे चेहरे के नूर से
चाँदनी भी शरमा जायेगी

रात के आगोश में कुछ
यूँ खो जायेंगे की ,
कभी न भाने वाली रात
आज रास आएगी …

इस हसीन लम्हे को
यूँ यादगार बनादुँगा की ,
आगे जाके सब भूल भी जाऊं ,
तो भी ये रात याद आएगी

और इस प्रीत भरी रात
की प्रेम धारा में ,
सदा निरंतर हमारी ही
प्रेम की नदी बहेगी

दिल कहता है ऐ रात कभी
न ख़त्म होना ,
तेरे मेरे प्रेम की प्रीत सदा
यु ही चलेगी …..

प्रेम- मिलन
रात के आलम मैं यु खो जाता हु .
अँधेरे मैं भी तुझे मय्यसर पाता हु ,
इतनी मुद्दतों से पाया है तुझे की
अपने दिल के हर टुकड़े को तुझसे ,
मिलाना चाहता हूँ ……..

*****************************विशाल मौर्य



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